लखनऊ, मार्च 13 -- लखनऊ। कार्यालय संवाददातदा उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति के अंतर्गत बुधवार को एक साथ 35 कलाकारों ने प्रदेश के विभिन्न दुर्लभ लोक वाद्यों का प्रभावपूर्ण प्रदर्शन किया। वाल्मीकि रंगशाला में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने किया। कलाकारों ने राग जोग, कजरी, रामायण धुन, कजरी धुन, लोक धुन और होरी की प्रस्तुति दी। प्रस्तुति निदेशक एवं ताल विशेषज्ञ शेख मोहम्मद इब्राहिम ने कहा कि सृष्टि के कण-कण में संगीत समाहित है। चाहे प्रकृति हो या मानव रचना हो। इन्हीं से संगीत का उद्गम और धीरे-धीरे विस्तार हुआ। जरूरत के मुताबिक गायन व नृत्य की संगत के लिए वाद्य यंत्रों का निर्माण होता गया लेकिन आधुनिक परिवेश में हमारी मूल संस्कृति पर उसका गहरा प्रभाव पडने के कारण आज हमारे अनेक वाद्य यंत्र विल...